Friday, 22 December 2017

प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद्

प्रधानमंत्री (Prime Minister)

सरकार की संसदीय प्रणाली में, प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी (Real or de facto executive) एवं सरकार का मुख्य अध्यक्ष होता है। 1947 से, भारत के 14 प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
नियुक्ति: संविधान में प्रधानमंत्री की नियुक्ति प्रक्रिया हेतु कोई विशेष प्रक्रिया नहीं है। सामान्यतः प्रधानमंत्री दल या संधि का नेता होता है जिसका लोकसभा, भारतीय संसद के निचले सदन (lower house) में बहुमत होता है। प्रधानमंत्री, भारत के राष्ट्रपति द्वारा शपथ लेता है।  राष्ट्रपति कार्यालय एवं गोपनीयता की शपथ प्रधानमंत्री को दिलवाता है।

अनुच्छेद 74: राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने हेतु प्रधानमंत्री के साथ मंत्रियों की एक परिषद होनी चाहिए, जो कि अपने कार्यों को प्रयोग में लाने हेतु, ऐसी सलाह के तदनुरूप कार्य करे।
  • जब कोई भी दल निचले सदन में अध्यक्षता न करे या जब भी प्रधानमंत्री की कार्यालय में आकस्मिक मृत्यु हो जाए और उसका कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी न हो तो राष्ट्रपति के पास विवेकाधीन अधिकार होते हैं।
  • राष्ट्रपति किसी एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त कर सकता है और फिर उचित समय अंतराल के अधीन उसे निचले सदन (लोकसभा) में उसके बहुमत को साबित करने हेतु कह सकता है। इसके अतिरिक्त, एक व्यक्ति जो दोनों ही सदनों का सदस्य नहीं है, को, छः महीनों के लिए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जिसके अंतर्गत उसे संसद के किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा।
    नोट: प्रधानमंत्री बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होना चाहिए |
  • संयुक्त राज्य की संसद प्रणाली की तरह प्रधानमंत्री पर केवल निचले सदन से ही होने का कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रधानमंत्री राज्यसभा का सदस्य भी हो सकता है।
  • राष्ट्रपति की रजामंदी पर प्रधानमंत्री कार्यालय को संभलता है। यदि निचले सदन में वह बहुमत में असफल रहता है तो उसे त्यागपत्र दे देना चाहिए। इसका अर्थ है कि प्रधानमंत्री का कार्यकाल स्थिर/निर्धारित नहीं होता है। साथ ही उसका वेतन एवं भत्ता भी संसद द्वारा निर्धारित किया जाता है।
अधिकार एवं कार्य
  • वह केन्द्रीय मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता है। एक पदाधिकारी प्रधानमंत्री के त्यागपत्र या मृत्यु से मंत्री परिषद स्वतः ही विघटित हो जाती है।
  • वह राष्ट्रपति एवं मंत्रिपरिषद के बीच संचार का प्राथमिक चैनल होता है।
  • प्रधानमंत्री जिस सदन से संबंध रखता है वह स्वत: ही उसका नेता बन जाता है।
  • वह नीति आयोग, अंतरराज्यीय परिषद, मंत्रिमंडल समीति इत्यादि का अध्यक्ष होता है।
मंत्री-परिषद
अनुच्छेद 74: मंत्रियों की एक परिषद होनी चाहिए जिसमें राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने हेतु प्रधानमंत्री अध्यक्ष के रूप में हो जो अपने कार्यों के प्रयोग में, इस प्रकार की सलाह के अनुसार कार्य करे। सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी होती है। हालांकि राष्ट्रपति इस प्रकार की सलाह पर पुनर्विचार की सिफारिश कर सकता है, किन्तु पुनर्विचार कर दी गई सलाह राष्ट्रपति हेतु बाध्यकारी होती है। यह प्रावधान 42वें एवं 44वें संशोधन अधिनियमों द्वारा जोड़ा गया था।
अनुच्छेद 75: राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जानी चाहिए एवं प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत: लोकसभा हेतु मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से जिम्मेदार होती है। जब लोकसभा में एक अविश्वास प्रस्ताव पारित किया जाता है, तब मंत्रिपरिषद राज्यसभा में सदस्यता के  निरपेक्ष पूर्ण रूप से त्यागपत्र देती है। वे एक टीम/समूह के रूप में कार्य करते हैं और साथ में ही सफलता या असफलता का सामना करते हैं। यदि मंत्रिमंडल की बैठक में उनमें मतभेद रहा होगा तब भी मंत्रिमंडल का निर्णय समस्त मंत्रिमंडल के मंत्रियों पर बाध्यकारी होता है।
  • व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का सिद्धांत: इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति की रजामंदी के दौरान कार्यालय को मंत्रिपरिषद द्वारा संभाला जा सकता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर उन्हें पदच्युत कर सकता है। सामूहिक उत्तरदायित्व के नियम को सुरक्षित रखने हेतु व्यक्तिगत उत्तरदायित्व आवश्यक हैं।
  • कानूनी उत्तरदायित्व: संयुक्त राज्य के असमान भारत में कानूनी उत्तरदायित्व की कोई प्रणाली नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि सार्वजनिक अधिनियम के लिए राष्ट्रपति का आदेश एक मंत्री द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए।
  • राष्ट्रपति द्वारा मंत्रियों को कार्यालय एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है। उनके वेतन, भत्तों इत्यादि में संसद द्वारा समय-समय पर संशोधन किया जाता है।
  • मंत्रिपरिषद, राष्ट्रपति के सामने कार्यालय का कार्यभर संभालती है। उन्हें उनके कार्यालय से प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
  • मंत्रिपरिषद की अधिकतम संख्या लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या की 15% तय की गई है। यह 2003 के 91वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया है।
  • कोई भी मंत्री सदन का सदस्य न होने पर भी उसकी प्रक्रिया में भाग ले सकता/सकती है। ऐसी स्थितियों में, मंत्री के पास मतदान प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार नहीं होता है। एक मंत्री के पास संसद या संयुक्त बैठक अधिवेशन की किसी भी समीति की प्रक्रियाओं में बोलने एवं भाग लेने का अधिकार होगा।
  • एक व्यक्ति जो दोनों सदनों का सदस्य नहीं होता है, उसे छह महीनों हेतु मंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जिसके अंतर्गत उसे संसद के किसी एक सदन का सदस्य बनना होता है।
  • कार्यवाहक सरकार (Caretaker Government): सर्वोच्च न्यायालय ने यह अनिवार्य किया है कि  ‘लोकसभा के विघटन के बाद भी, मंत्रिपरिषद कार्यालय का पद संभालने का अधिकार नहीं रखती है चूँकि राष्ट्रपति, ‘मंत्रिपरिषद’ के सहयोग एवं सलाह के बिना किसी भी प्रकार के कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकता है।
मंत्रिपरिषद की रचना
  • मंत्रिमंडल के मंत्री: सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था विभिन्न मुद्दों पर राष्ट्रपति को सलाह देती है। उनके पास महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो होते हैं एवं वे मंत्रिमंडल की बैठक में उपस्थित रहते हैं| शब्द ‘ मंत्रिमंडल (Cabinet)’ को 44वें संशोधन अधिनियम के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 352 में बताया गया है और इसे ‘अनुच्छेद 75 के तहत नियुक्त प्रधानमंत्री और कैबिनेट रैंक के अन्य मंत्रियों की परिषद’ के रूप में परिभाषित किया गया है|
  • राज्यमंत्री: वे मंत्रालय के स्वतंत्र विभागों के प्रभारी होते हैं या उन्हें मंत्रिमंडल मंत्रियों की सहायता हेतु नियुक्त किया जाता है। वे मंत्रिमंडल के सदस्य नहीं होते हैं और जब तक आमंत्रित नहीं किया जाए वे इसकी बैठक में उपस्थित नहीं होते हैं।
  • उप मंत्री: उन्हें स्वतंत्र प्रभार नहीं दिया जाता है और उन्हें मंत्रिमंडल मंत्रियों या राज्य के मंत्रियों की सहायता हेतु नियुक्त किया जाता है।
  • संसदीय सचिव: वे वरिष्ठ मंत्रियों से उनके संसदीय कर्त्तव्यों में सहायता हेतु जुड़े होते हैं।
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